Happy Gandhi Jayanti Messages in Hindi
Happy Gandhi Jayanti 2020 2 अक्टूबर को हर साल गांधी जी के जन्मदिन के रुप में गांधी जयंती मनाई जाती है. इस साल राषट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती है. महात्मा गांधी ने अपने जीवन को सादगी का संदेश दिया है. गांधी जयंती को पूरा देश हर्षोल्लास से मनाता है. केंद्र सरकार क प्रोत्साहन से भारत में गांधी जयंती को स्वच्छता की सेवा के रुप में मनाया जाने लगा है. इस दिन को और भी खास मनाने के लिए हम आपके लिए लेकर आए हैं. कुछ गांधी जयंती वॉट्सऐप मैसेज और गांधी जयंती SMS, गांधी जयंती फेसबुक पोस्ट और गांधी जयंती हिन्दी मैसेज,गाँधी जयंती फोटो 2020, और 2 अक्टूबर गांधी जयंती तस्वीरें ताकि आप अपने करीबियों और दोस्तों को इन्हें भेजकर गांधी जयंती की बधाई दे सके
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मोहनदास करम चंद गांधी भारतीय स्वाघीनता आंदोलन के अगुवा थे. सत्याग्रह और अंहिंसा के सिद्धांतो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उनके सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को मागरिक आध्कारों एंव स्वतन्त्राका आन्दोलन के लिए प्रेरित किया. सुभाष चंद्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कह कर सम्बोधित किया था. गांधी जी मानवता जाति के लिए एक मिशाल हैं. उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य को पालन किया है. इस गांधी जयंती पर हमारी तरफ से इस खास मैसेज से आपको गांधी जयंती की शूभकामनाएं.
Happy Gandhi Jayanti SMS In
Hindi
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान
-गांधी जयंती की शुभकामनाएं
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भगवान हमें सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दे
-गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
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रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम, भज प्यारे तू सीताराम
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ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, साब को सन्मति दे भगवान
-गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
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मानवता की
प्रतिमा को उनकी जयंती पर नमन
-हैपी गांधी जयंती
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गांधी जयंती पर मेरा सभी से बस
यही कहना है
जीना है तो गांधी जैसे वरना जीना भी क्या जीना है
-हैपी गांधी जयंती
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आओ हम भी करे उस महात्मा को
नमन
देश के लिए त्यागा जिसने अपना तन-मन-धन
-गांधी जयंती की शुभकामनाएं
गांधी है जिसका नाम
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दुनिया करती उन्हें सलाम
-गांधी जयंती की शुभकामनाएं
सत्य और अहिंसा था जिसका नारा
वह महात्मा था प्यारा, बापू हमारा
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महात्मा गांधी के ये विचार
Happy Gandhi Jayanti 2020 Wishes: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मनाई जा रही है। गांधी जी के व्यक्तित्व व कृतित्व के योगदान को याद करने के लिए पूरे भारत गांधी जयंती बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। संयुक्त राष्ट्र ने 15 जून 2007 को महात्मा गांधी के सम्मान में दो अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया जिससे अब गांधी जयंती को दुनिया के अन्य देश अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जा रही है। अहिंसा पूर्वक भारत को आजादी दिलाने में अपना महान योगदान करने वाले महात्मा गांधी का जनम 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद या कबा गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी के जन्मदिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
महात्मा गांधी ने अपने जीवन भर न सिर्फ अहिंसा की लड़ाई लड़ी बल्कि छुआछूत, जाति प्रथा व सामाजिक भेदभाव के खिलाफ भी संघर्ष करते रहे। दुनिया को उनके योगदान को याद करते हुए हम सभी उनके बड़ी ही श्रद्धा भाव से याद करते हैं। गांधी जी इस सम्मान को और आगे बढ़ाते हुए हम हैप्पी गांधी जयंती या गांधी जी के विचार अपने दोस्तों को शेयर कर सकते हैं। इन्हें आप वॉट्सएप स्टेटस, फेसबुक स्टोरी या अपनी प्रोफाइल फोटो के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
Happy Gndhi Jayanti syari In Hindi
कमजोर
कभी मांफी
नहीं मांगते,
क्षमा करना तो ताकतवर
व्यक्ति की विशेषता
है।
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कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के जीने वाले हो।
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एक
आदमी ही सोच को जन्म देता है और वो क्या सोचता
है वही बनता है।
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अपने आपको पाने का सबसे सही तरीका
है कि अपने आपको दूसरों की सेवा में खो दिया जाये।
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खुशियां
वही हैं जो आप सोचते
हैं, आप कहते हैं, और जो आप स्वाध्याय
के लिए करते हैं।
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संतोष पूर्ण प्रयास से मिलता
है न कि फल प्राप्ति से। पूरा प्रयास ही पूर्ण विजय है।
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तुम मुझे
बांध सकते हो, तुम मुझे यातनाएं दे सकते हो, तुम इस शरीर को ख़त्म भी कर सकते हो, पर
तुम मेरे दिमाग को बांध नहीं सकते।
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प्रकृति आपकी जरूरतों को पूरा कर
सकती है आपकी विलाषिताओं को नहीं।
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आंख के
बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।
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व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से
नहीं, उसके चरित्र से होती है।
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आजादी
का कोई मतलब नहीं, अगर इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो।
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हो सकता है कि हम ठोकर खाकर गिर
पड़ें, पर हम उठ सकते हैं। लड़ाई से भागने से तो इतना अच्छा ही है।
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आपको इंसानियत
पर कभी भी भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि इस दुनिया में इंसानियत एक ऐसा समुद्र
है, जहां अगर कुछ बूंदें गंदी हो भी जाएं तो समुद्र गंदा नहीं हो सकता।
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जिसको पाकर मुक्त हुआ था, भारतमाता
का उपवन।
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आओ आज
सुनाएं तुमको, बापू का निर्मल जीवन।।
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अठ्ठारह सौ उनहत्तर में, अक्टूबर
महीना आया।
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तभी हुलसकर
पुतली माता ने, प्यारा बेटा जाया।।
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पोरबंदर, दीवान करमचंद के, घर में
खुशियां छाईं।
नित्य नए आनंद और फिर, पढ़ने की
बेला आई।।
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उम्र अभी
छोटी ही थी पर, पिता स्वर्ग सिधार गए।
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करके मैट्रिक पास यहां, फिर मोहन
भी इंग्लैंड गए।।
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पढ़-लिख
मोहन हो गए, बुद्धिवान-गुणवान।
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ज्ञानवान, कर्तव्य प्रिय, रखे आत्मसम्मान।।
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दक्षिण
अफ्रीका में लड़ने को, एक मुकदमा था आया।
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पगड़ी धारण करके गांधी, उस वक्त
अदालत में आया।।
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कितनी
उंगली उठीं कोई, गांधी को न झुका पाया।
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मैं भारतवासी हूं, संस्कृति का,
मान मुझे प्यारा।।
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थे रोज
देखते, कालों का, अपमान वहां होता रहता।
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यह देख-देखकर मोहन का मन, जार-जार
रोता रहता।।
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तभी एक
दिन ठान ली, दूर करूं अन्याय।
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चाहे कुछ करना पड़े, दिलवाऊंगा न्याय।।
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कितने
ही आंदोलन करके, गांधी ने बात बढ़ाई थी।
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जितने भी काले रहते थे, उन सबकी
शान बढ़ाई थी।।
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फिर भारत
में वापस आकर, वे राजनीति में कूद पड़े।
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प्रथम युद्ध में, शामिल होकर अंग्रेजों
के साथ रहे।
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अंग्रेजों
का यह कहना था, यदि विजय उन्हें ही मिल जाए।
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तो भारत को आजाद करें, और अपने वतन
पलट जाएं।।
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लेकिन
हमको क्या मिला, जलियांवाला कांड।
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सुनकर के जिसकी व्यथा, कांप उठा
ब्राह्मण।।
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नमक और
भारत छोड़ो आंदोलन को, फिर अपनाया।
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फिर शामिल होकर गोलमेज में, भारत
का हक बतलाया।।
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भारत छोड़ो
का नारा अब, घर-घर से उठता आता था।
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इस नारे को सुन-सुनकर अब, अंग्रेज
राज थर्राता था।।
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सारे नेता
जेलों में थे, कर आजादी का गान रहे।
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हो प्राण निछावर अपने पर, इस मातृभूमि
का मान रहे।।
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देख यहां
की स्थिति, समझ गए अंग्रेज।
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यह फूलों की है नहीं, यह कांटों
की सेज।।
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पन्द्रह
अगस्त सैंतालीस को, भारत प्यारा आजाद हुआ।
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दो टुकड़ों में बंट गया, यही सुख-दु:ख
पाया था मिला-जुला।।
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दंगे-फसाद
थे शुरू हुए, हर गली-गांव कुरुक्षेत्र हुआ।
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गांधी बाबा ने अनशन कर, निज प्राण
दांव पर लगा दिया।।
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फिर
30 जनवरी आई वह, छ: बजे शाम की बात रही।
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प्रार्थना सभा में जाते थे, बापू
को गोली वहीं लगी।।
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डूबे सारे
शोक में, गांधी महाप्रयाण।
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धरती पर सब कर रहे, बापू का गुणगान।।
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जो कुछ
था देय, दिया तुमने, सब लेकर भी
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हम हाथ पसारे हुए खड़े हैं आशा में;
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लेकिन,
छींटों के आगे जीभ नहीं खुलती,
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बेबसी बोलती है आँसू
की भाषा में।वसुधा को सागर से निकाल बाहर लाये,
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किरणों का बन्धन काट उन्हें उन्मुक्त किया,
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आँसुओं-पसीनों से
न आग जब बुझ पायी,
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बापू! तुमने आखिर को अपना रक्त दिया।
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अब भारत नया बनाएँगे, हम वंशज गाँधी के
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पुस्तक-अख़बार जलाएँगे, हम वंशज गाँधी केजनता
की पीर हुई बासी, क्या मिलना गाकर भी
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बस वंशावलियां गाएँगे, हम वंशज गाँधी केबापू की बेटी बिकी अगर, इसमें
हम क्या कर लें
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कुछ नारे नए सुझाएँगे, हम वंशज गाँधी केखाली
हाथों से शंका है, अपराध न हो जाए
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इन हाथों को कटवाएँगे, हम वंशज गाँधी केरथ यात्रा ऊँची कुर्सी की, जब-जब
भी निकलेगी
पैरों में बिछते जाएँगे, हम वंशज गाँधी के
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